ये मत समझ कि..
तेरे काबिल नहीं हैं हम !
तड़प रहे हैं वो जिसे..
हासिल नहीं हैं हम.!!
करीब तो हैं कई लोग
पर पास कोई नहीं !
कुछ जलते हैं मुझसे
पर राख में बदलते नहीं !!
दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं, ।
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रुबरु होने पर सलाम किया करते हैं ।।
कई लोग मुझको गिराने में लगे हैं,
सरेआम चिराग बुझाने में लगे हैं,
उनसे कह दो कतरा नहीं मैं समंदर हूं,
डूब गए वह खुद जो मुझे डुबाने में लगे हैं ।।
जैसा भी हूं
अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखता
औरो की नजर से !!